सबसे बड़ी चिंता कच्चे तेल को लेकर है, जो दोनों देशों में संघर्ष की शुरुआत के बाद से 4 फीसदी से अधिक महंगा हो गया है। क्रूड में उछाल से देश में न सिर्फ़ महंगाई बढ़ेगी बल्कि चालू खाता घाटे पर भी असर पड़ेगा। भारत अपनी ज़रूरतों का 85 फीसदी तेल आयात करता है।
ब्लूमबर्ग मुताबिक, रैपिडन एनर्जी समूह के अध्यक्ष एवं व्हाइट हाउस के पूर्व अधिकारी बॉब मैकनेली ने कहा कि अगर इस्राइल किसी भी ईरानी बुनियादी ढांचे पर हमला कर जवाब देता है तो क्रूड के दाम तत्काल बढ़ जाएंगे।
उधर, सोमवार को वैश्विक बाज़ार में कच्चा तेल 3 फीसदी तक उछल गया। ब्रेंट क्रूड 2.28 फीसदी चढ़कर 86.86 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया। डब्ल्यूटीआई में 3 फीसदी तेजी रही।
तेल का 100 से नीचे रहना ज़रूरी
विशेषज्ञों की मानें तो इस्राइल और हमास के बीच युद्ध का लंबा चलना चिंताजनक है। इससे कच्चे तेल की कीमतें तिहाई अंकों में पहुंच सकती है। हालांकि, क्रूड की बढ़ती कीमतों से निपटने के लिए भारत अच्छी स्थिति में है। फिर भी, इसकी कीमतों का 100 डॉलर प्रति बैरल से नीचे बने रहना ज़रूरी है।
स्थिति पर करीब से नज़र
इस्राइल-हमास संघर्ष पर पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने कहा, भारत स्थिति पर करीबी नज़र रखे हुए है। जहां तक ऊर्जा का सवाल है तो हमें यह बिल्कुल स्पष्ट कर देना चाहिए कि जिस स्थान पर यह सब जारी है, वह कई मायनों में वैश्विक ऊर्जा केंद्र है।
हम इस पर करीबी नज़र रखेंगे और देखेंगे कि अपना आगे का रास्ता कैसे तय कर सकते हैं। अदाणी पोर्ट्स एंड एसईजेड ने सोमवार को कहा, इस्राइल में स्थित हाइफा बंदरगाह पर उसके सभी कर्मचारी सुरक्षित हैं। वह हाइफा बंदरगाह को लेकर पूरी तरह सतर्क है।
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