शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता और अपर मुख्य सचिव की मौजूदगी में राज्य के सभी परंपरागत विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ मंगलवार को एक बैठक हुई. इसमें विभाग ने सत्रों के विलंब होने से प्रभावित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को दो टूक बता दिया गया कि वह विश्वविद्यालयों के अकादमिक और परीक्षा सत्रों को हर हाल में नियमित कर लें. साफ किया कि सत्रों में देरी से सरकार चिंतित है. खासतौर पर शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने विश्वविद्यालयों से कहा है कि विद्यार्थियों के हित को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए अकादमिक सत्रों को समय पर पूरा करायें, ताकि विद्यार्थियों को समय पर डिग्री मिले. उनके कैरियर में किसी तरह की परेशानी न आये. उन्होंने विश्वविद्यालयों में उद्यमिता, इन्यूबेशन और कौशल विकास पर ध्यान देने के लिए कहा. शिक्षा मंत्री ने कहा कि पाठ्यक्रम सामग्री गुणवत्तापूर्ण हो. उसमें उद्योग को जोड़ें, जिससे विद्यार्थियों को अपेक्षित प्लेसमेंट दिलाया जा सके. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ एस सिद्धार्थ ने दो टूक कहा कि विश्वविद्यालयों को वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता पर ध्यान देना चाहिए. बैठक में पीएम ऊषा योजना के बारे में व्यापक चर्चा की गयी. इस योजना में 382.2 करोड़ की राशि दी गयी है. इसमें 100 करोड़ की निविदा निकाली जा चुकी हैं. बैठक में विश्वविद्यालय संबंधी विभिन्न योजनाओं की चर्चा की गयी.
■2021-2024 में में जेपीयू का दूसरा सत्र 24 माह देरी से है
■2022-2025 के सत्र की दूसरे वर्ष की वार्षिक परीक्षाएं जेपीयू, एलएनएमयू, मगध का सत्र छह-छह माह विलंब से.
■2023-2027 में जेपीयू का प्रथम सेमेस्टर 12 महीने देरी से
2024-2028 में एलएनएमयू ओर मगध का पहला सेमेस्टर दो-दो माह लेट है.
■2020-2022 में जेपीयू का चौथा सेमस्टर 30 माह देरी से
■2021-2023 में जेपीयू का तीसरा सेमेस्टर व कामेश्वर सिंह संस्कृत विवि का चौथा सेमेस्टर 18 माह देरी से चल रहा है.
■2022-2024 में जेपीयू और मगध विवि का पहला सेमेस्टर क्रमश: 30 और 24 माह, केएसडीएसयू तीसरा सेमेस्टर 18 माह, और एकेयू, बीआरए बिहार विवि और एलएनएमयू का चौथा सेमेस्टर देरी से चल रहा है.
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